यहाँ पर पढ़िए मोहम्मद इमरान प्रतापगढ़ी जी की कुछ बहुत लोकप्रिय शायरी, जो आपको जरूर पसंद आएँगी।
इमरान प्रतापगढ़ी एक क्रांतिकारी शायर हैं जिन्हें सुनने वाले उनके दीवाने हो जाते हैं। साहित्य आजतक के मंच पर कभी-कभी उन्होंने अपने चाहने वालों और विरोधियों को लेकर यह नज़्म सुनाई थी।
इमरान प्रतापगढ़ी ने स्कूल में ही कविता लिखने लगे और कविता सम्मेलनों और मुशायरों में भाग लेने लगे। इमरान मदरसा और दायरों में सिमट के आया है जैसी कविताओं से प्रसिद्ध हुए और कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य हैं। पूरा नाम मोहम्मद इमरान खान है, कवि, शायर, कुशल वक्ता और राजनेता इमरान प्रतापगढ़ी।
इमरान प्रतापगढ़ी शायरी हिंदी में (Imran Pratapgarhi Shayari), उनकी शायरी का एक उदाहरण है। इसके बारे में लिखना इतना कठिन नहीं है क्योंकि यह समझना मुश्किल है; बल्कि, इस शायरी को शब्दों में समझाना सबसे बड़ी कमी होगी। इस श्यारी को पड़ने के बाद आपको अपने आसपास होने वाले हर क्षण को बहुत गहरायी से देखने की जरूरत होगी।
Imran Pratapgarhi Shayari

ज़माने पर भरोसा करने वालों,
भरोसे का ज़माना जा रहा है !
अपनी मोहब्बत का यो बस एक ही उसूल है,
तू कुबूल है और तेरा सबकुछ कुबूल है।
तेरे चेहरे में एैसा क्या है आख़िर,
जिसे बरसों से देखा जा रहा है !!!
हमने सीखा है ये रसूलों से,
जंग लड़ना सदा उसूलों से !
नफरतों वाली गालियाँ तुम दो,
हम तो देंगे ज़वाब फूलों से !!

अपनी मोहब्बत का यो बस एक ही उसूल है,
तू कुबूल है और तेरा सबकुछ कुबूल है।
मोहब्बत के सभी मंजर बड़े खाली से लगते हैं,
अख़ीदत से कहे अल्फाज़ भी झाली से लगती हैं,
वो रोहित बेमूला की मौत पर आंसू बहाता है,
मगर उस शाख के आंसू भी
घड़ियाल(मगर-मच) से लगते हैं..
मेरे खुलूस की गहराई से नहीं मिलते
ये झूठे लोग हैं सच्चाई से नहीं मिलते
मोहब्बतों का सबक दे रहे हैं दुनिया
को जो ईद अपने सगे भाई से नहीं मिलते.!
Best Imran Pratapgarhi Shayari

हाथों की लकीरें पढ कर रो देता है दिल
सब कुछ तो है मगर एक तेरा नाम क्यूँ नहीं है…
राह में ख़तरे भी हैं, लेकिन ठहरता कौन है,
मौत कल आती है, आज आ जाये डरता कौन है !
तेरी लश्कर के मुक़ाबिल मैं अकेला हूँ मगर,
फ़ैसला मैदान में होगा कि मरता कौन है !!
अब ना मैं हूँ ना बाकी हैं ज़माने मेरे
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
जिन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे.
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे ।

हमने उसके जिस्म को फूलों की वादी कह दिया,
इस जरा सी बात पर हमको फसादी कह दिया,
हमने अख़बर बनकर जोधा से मोहब्बत की,
मगर सिरफिरे लोगों ने हमको लव जिहादी कह दिया।
उसी जगह पर जहाँ कई रास्ते मिलेंगे,
पलट के आए तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे।
अगर कभी तेरे नाम पर जंग हो गई तो,
हम ऐसे बुजदिल भी पहली सफ़ में खड़े मिलेंगे।
एक बेवफा को ना आये हमारी वफ़ा का यकीन,
हमने कहा की हम मर जायेंगे उसने कहा आमीन।
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