Firaq Gorakhpuri Shayari: फ़िराक़ गोरखपुरी एक विशिष्ट उर्दू शायर थे जिन्होंने उर्दू ग़ज़ल की पारंपरिक शैली को एक नए स्तर पर उठाया। उन्होंने हर क्षेत्र में लिखा। फ़िराक़ मूलत सौन्दर्य और प्रेम के कवि थे। जो उनके साहित्य में स्पष्ट है।
हमारे ग्रंथ ही नहीं कहते कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं। कई लोगों ने अपने जन्मस्थान को अपने नाम या उपनाम के तौर पर टैग करके इसका जीवंत सबूत भी दिया है। ऐसे ही लोग शायर रघुपति सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरी को भी मानते हैं। 3 मार्च उन्हें पुण्यतिथि है। उन्हें और उनकी रचनाओं को उनके विशिष्ट ढंग से हिंदी में याद किया जाता है।
प्रेम और सौंदर्य, उर्दू गज़ल के मूल विषय हैं। प्रेम और सौन्दर्य के संबंधों और प्रतिक्रियाओं का स्वर दुनिया भर में सुनाई देता है। लेकिन प्रेम काव्य, गज़ल या गज़ल की शायरी में विश्व साहित्य बनने का गुण नहीं होता जब तक इस गुंजन में तह-दर-तह गहराई, गगन स्पर्शी उच्चता, विश्व के हृदय की धड़कन और दैवी और सांसारिक अनुभूतियों का समन्वय और संगम नहीं होता। फ़िराक़ गोरखपुरी की रचनाओं में प्रेम-काल पूरी दुनिया को अपनी गोद में लेता है।
आप भी फ़िराक़ गोरखपुरी के विशिष्ट शेर पढ़ें, जिन्हें पढ़ने के बाद परेशानियों का बोझ कम हो जाता है — भारत में फ़िराक़ गोरखुरी एक बहुत प्रसिद्ध शायर थे। यहाँ हिंदी में फ़िराक गोरखपुरी जी की कुछ खास शायरी पढ़ें, जो आपको बहुत पसंद आएँगी।
Firaq Gorakhpuri Shayari
Download Imageफ़ितरत मेरी इश्क़-ओ-मोहब्बत क़िस्मत मेरी तंहाई
कहने की नौबत ही न आई हम भी किसू के हो लें हैं |
Download Imageएक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं |
Download Imageजिसे कहती है दुनिया कामयाबी वाए नादानी
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं |
Download Imageतुम इसे शिकवा समझकर किस लिए शरमा गए
मुद्दतों के बाद देखा था तो आँसू आ गए।
Download Imageमुझ को मारा है हर इक दर्द ओ दवा से पहले
दी सज़ा इश्क़ ने हर जुर्म-ओ-ख़ता से पहले |
Download Imageअब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ |
Firaq Gorakhpuri Shayari in Hindi
Download Imageअगर बदल न दिया आदमी ने दुनिया को
तो जान लो कि यहाँ आदमी की ख़ैर नहीं |
Download Imageपलट पड़े न कहीं उस निगाह का जादू
कि डूब कर ये छुरी कुछ उछल तो सकती है |
Download Imageआई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ |
Download Imageएक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गये हों तुझे ऐसा भी नहीं।
Download Imageअहबाब से रखता हूँ कुछ उम्मीद-ए-ख़ुराफ़ात
रहते हैं ख़फ़ा मुझ से बहुत लोग इसी से |
Download Imageबहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं |
Best Firaq Gorakhpuri Shayari
Download Imageकुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आश्ना को क्या समझ बैठे थे हम |
Download Imageआई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
उफ़ ले गई है मुझको मोहब्बत कहाँ कहाँ।
Download Imageकोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं |
Download Imageअक़्ल में यूँ तो नहीं कोई कमी
इक ज़रा दीवानगी दरकार है |
Download Imageतुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें |
Download Imageअसर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का
तुझे क़ाइल भी करता जा रहा हूँ |
Latest Firaq Gorakhpuri Shayari
Download Imageबहसें छिड़ी हुई हैं हयात ओ ममात की
सौ बात बन गई है ‘फ़िराक़’ एक बात की |
Download Imageछलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं
निगाह-ए-नर्गिस-ए-राना तिरा जवाब नहीं |
Download Imageएक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं |
Download Imageमौत का भी इलाज हो शायद
ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं |
Download Imageकुछ भी अयाँ निहाँ न था कोई ज़माँ मकाँ न था
देर थी इक निगाह की फिर ये जहाँ जहाँ न था |’
Download Imageकुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आशना को क्या समझ बैठे थे हम।
Top Firaq Gorakhpuri Shayari
Download Imageहम से क्या हो सका मोहब्बत में
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की |
Download Imageग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में |
Download Imageतो एक था मिरे अशआ’र में हज़ार हुआ
उस इक चराग़ से कितने चराग़ जल उठे |
Download Imageफ़िराक़’ दौड़ गई रूह सी ज़माने में
कहाँ का दर्द भरा था मिरे फ़साने में |
Download Imageन कोई वा’दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था |
Download Imageशाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं |
Unique Firaq Gorakhpuri Shayari
Download Imageमैं हूँ दिल है तन्हाई है
तुम भी होते अच्छा होता।
Download Imageआए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए |
Download Imageरोने को तो जिंदगी पड़ी है
कुछ तेरे सितम पे मुस्कुरा लें।
Download Imageइसी खंडर में कहीं कुछ दिए हैं टूटे हुए
इन्हीं से काम चलाओ बड़ी उदास है रात |
Download Imageजो उन मासूम आँखों ने दिए थे
वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ |
Download Imageकहाँ हर एक से बार-ए-नशात उठता है
बलाएँ ये भी मोहब्बत के सर गई होंगी |
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