जिसके पास माँ का प्यार होता है, उसके लिए हर मौसम बहार होता है।

मेरी ख्वाहिश है की मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊँ, माँ से इस तरह लिपटूँ की बच्चा हो जाऊँ।

हालातों के आगे जब साथ न जुबां होती है, पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो साफ “माँ” होती है।

जब-जब कागज पर लिखा मैंने माँ का नाम, कलम अदब से बोल उठी हो गये चारों धाम।

माँ की दुआँ वक्त तो क्या नसीब भी बदल देती है..!

कितना भी लिखें उसके लिए बहुत कम है, सच तो ये है कि माँ है तो हम हैं।’

कौन कहता है कि बचपन वापस नहीं आता, कभी माँ की गोद में सर रखकर तो देखो, बड़े होने का मन ही नहीं करेगा।

उम्र का लंबा सफर तय करने के बाद पता चला, की माँ जो कहती थीं सही कहती थीं।

घुटनों से रेंगते-रेंगते जब पैरों पर खड़ा हो गया, माँ की ममता की छाँव में ना जाने कब बड़ा हो गया।

इज्जत भी मिलेगी तुम्हे दौलत भी मिलेगी, खिदमत करो मां बाप की जन्नत भी मिलेगी।