कदम जब चूम लें मंजिल तो जज्बा मुस्कुराता है,
दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है।
माँ जीवन का सार है,
इसमे बसा संसार है,
माँ ही जीवन की ज्ञाता है,
यही हमारा विद्याता है।
उसका काला टीका किसी सुदर्शन चक्र से कम नही,
माँ एक उंगली काजल से सारी बलाएं टाल देती है..।
हालातों के आगे जब साथ न जुबां होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो साफ “माँ” होती है।
वो डांट डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
माँ के लिए हम लिखते है, शान से,
माँ के जैसा कोई नहीं इस जहान में।
मांगने पर जहाँ पूरी हर मन्नत होती है
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है !
बुलंदियों के हर निशान को छुआ,
जब मां ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।
कितना भी लिखें उसके लिए बहुत कम है,
सच तो ये है कि माँ है तो हम हैं।’
किस्मत की लकीरें
माँ की दुआओं से बनती हैं।