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भाववाचक संज्ञा – परिभाषा, उदाहरण और प्रकार

हिंदी व्याकरण में संज्ञा के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण प्रकार भाववाचक संज्ञा है। जब किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया की अवस्था, गुण, भाव या स्थिति का बोध कराया जाता है, तो उसे भाववाचक संज्ञा कहा जाता है। यह संज्ञा किसी वस्तु के भौतिक अस्तित्व को न दर्शाकर, उसके गुण, स्थिति या भावनात्मक स्वरूप को व्यक्त करती है।

उदाहरण के लिए, “ईमानदारी,” “सुंदरता,” “क्रोध,” और “मित्रता” शब्दों को देखें। ये सभी शब्द किसी ठोस वस्तु को न दर्शाकर एक भाव या गुण को प्रकट करते हैं, इसलिए इन्हें भाववाचक संज्ञा कहा जाता है। हिंदी भाषा में इस प्रकार की संज्ञा का उपयोग विशेष रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता, भावना या अवस्था को व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

भाववाचक संज्ञा को पहचानने का आसान तरीका यह है कि ये संज्ञाएँ आमतौर पर विशेषण या क्रिया से बनी होती हैं और किसी चीज़ की अवस्था, गुण या अनुभव को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, “न्याय” शब्द “न्यायी” से बना है और “दयालुता” शब्द “दयालु” से बना है। ये सभी शब्द किसी विशेष गुण या भावना को दर्शाते हैं, इसलिए ये भाववाचक संज्ञा के उदाहरण हैं।

👉 आइए, अब विस्तार से भाववाचक संज्ञा की परिभाषा, प्रकार और उदाहरणों को समझते हैं।

भाववाचक संज्ञा क्या होती है?

भाववाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है जो किसी व्यक्ति, वस्तु या क्रिया की अवस्था, गुण, भाव या स्थिति को व्यक्त करती है। यह किसी ठोस वस्तु को न दर्शाकर, उसके गुण, भावना या दशा को दर्शाती है।

उदाहरण:

गुण: सुंदरता, ईमानदारी, बहादुरी
अवस्था: बचपन, जवानी, बुढ़ापा
भावनाएँ: प्रेम, घृणा, क्रोध

भाववाचक संज्ञा की परिभाषा

हिंदी व्याकरण के अनुसार, वह संज्ञा जो किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, अवस्था, भाव या स्थिति को व्यक्त करती है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। यह संज्ञाएँ किसी भौतिक वस्तु का बोध नहीं करातीं, बल्कि उनके गुणों या भावनाओं को दर्शाती हैं।

भाववाचक संज्ञा को कैसे पहचाने?

भाववाचक संज्ञा को पहचानने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं को समझना आवश्यक है:

  • यह संज्ञाएँ आमतौर पर विशेषण या क्रिया से बनती हैं
  • ये किसी वस्तु के भौतिक रूप को न दर्शाकर, उसके गुण या अवस्था को व्यक्त करती हैं।
  • इनमें अक्सर “ता” या “पन” जैसे प्रत्यय जुड़े होते हैं, जैसे दयालु → दयालुता, सुंदर → सुंदरता, सच्चा → सच्चाई

उदाहरण:

  • “ईमानदारी” एक गुण को दर्शाती है, इसलिए यह भाववाचक संज्ञा है।
  • “बचपन” जीवन की अवस्था को दर्शाता है, इसलिए यह भाववाचक संज्ञा है।

भाववाचक संज्ञा के प्रकार

भाववाचक संज्ञा को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।

गुण दर्शाने वाली भाववाचक संज्ञा

जब कोई संज्ञा किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण को व्यक्त करती है, तो उसे गुण दर्शाने वाली भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

उदाहरण:

  • सुंदरता (सुंदर व्यक्ति का गुण)
  • ईमानदारी (ईमानदार व्यक्ति का गुण)
  • क्रूरता (क्रूर व्यक्ति का गुण)

अवस्था दर्शाने वाली भाववाचक संज्ञा

जो संज्ञा किसी व्यक्ति या वस्तु की अवस्था या स्थिति को दर्शाए, उसे अवस्था दर्शाने वाली भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

उदाहरण:

  • बचपन (जीवन की एक अवस्था)
  • निर्धनता (गरीब होने की स्थिति)
  • बुढ़ापा (जीवन का अंतिम चरण)

भावनाएँ दर्शाने वाली भाववाचक संज्ञा

जो संज्ञा किसी व्यक्ति की भावनाओं या मनोभावों को दर्शाए, उसे भावनाएँ दर्शाने वाली भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

उदाहरण:

  • क्रोध (गुस्से की भावना)
  • प्रेम (किसी के प्रति लगाव की भावना)
  • घृणा (किसी के प्रति नफरत की भावना)

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण

भाववाचक संज्ञा को और अच्छे से समझने के लिए कुछ वाक्य उदाहरण देखें:

गुण:

  • सच बोलना अच्छी ईमानदारी की निशानी है।
  • रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी पूरे देश में प्रसिद्ध है।

अवस्था:

  • बचपन की यादें हमें जीवनभर याद रहती हैं।
  • बुढ़ापा आने पर शरीर कमजोर हो जाता है।

भावनाएँ:

  • प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है।
  • क्रोध इंसान को अंधा बना सकता है।

भाववाचक संज्ञा कैसे बनती है?

भाववाचक संज्ञाएँ अक्सर विशेषण या क्रिया से बनती हैं

विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनना

बहुत सी भाववाचक संज्ञाएँ विशेषण से बनती हैं।

उदाहरण:

  • दयालु → दयालुता
  • क्रूर → क्रूरता
  • सुंदर → सुंदरता

क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनना

कुछ भाववाचक संज्ञाएँ क्रिया से भी बनती हैं।

उदाहरण:

  • सोचना → सोच
  • हँसना → हँसी
  • पढ़ना → पढ़ाई

भाववाचक संज्ञा से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQ Section)

भाववाचक संज्ञा और जातिवाचक संज्ञा में क्या अंतर है?

जातिवाचक संज्ञा किसी वर्ग या समूह को दर्शाती है, जबकि भाववाचक संज्ञा किसी गुण या भावना को दर्शाती है।
उदाहरण:
जातिवाचक संज्ञा: आदमी, स्त्री, कुत्ता, पेड़
भाववाचक संज्ञा: सुंदरता, बहादुरी, प्रेम, क्रोध

क्या “ईमानदारी” भाववाचक संज्ञा है?

हाँ, “ईमानदारी” एक भाववाचक संज्ञा है क्योंकि यह किसी व्यक्ति के गुण को दर्शाती है।

हिंदी व्याकरण में भाववाचक संज्ञा क्यों महत्वपूर्ण है?

भाववाचक संज्ञा भाषा को अधिक अभिव्यक्तिपूर्ण और प्रभावशाली बनाती है। यह भावनाओं और गुणों को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

निष्कर्ष:

भाववाचक संज्ञा हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थिति के गुण, अवस्था और भावनाओं के बारे में बताती है।

🔹 मुख्य बातें:

  • भाववाचक संज्ञा किसी के गुण, अवस्था या भाव को दर्शाती है।
  • यह विशेषण या क्रिया से बनती है, जैसे “दयालुता” (दयालु से) और “हँसी” (हँसना से)।
  • यह तीन मुख्य प्रकार की होती है – गुण, अवस्था और भावनाएँ

📢 अब आपकी बारी!
क्या आपको भाववाचक संज्ञा समझ में आ गई? अगर आपके कोई सवाल हैं, तो कमेंट में बताइए! 😊👇

Madhav Jha

Madhav Jha loves blogging and is an expert in search engine optimisation (SEO). He loves writing about Shayari, Status, and so on.

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